–राजेंद्र भगत
कश्मीर फाइल मूवी के बाद राजनेताओं में जिस तरह की रणनीतियां बन रही हैं क्या यह किसी प्लान का हिस्सा तो नहीं? कश्मीर फाइल पर केजरीवाल का बयान उसके जवाब में भाजपा नेताओं के जवाब, सब घटनाक्रम को समाचार पत्रों के प्रथम पेज पर सुर्खियां मिलना और पूरा दिन टीवी चैनल पर इन बयानों पर चर्चा करना क्या किसी रणनीति का हिस्सा है? क्या आगामी 2024 के चुनावों के लिए ही विसात तो नहीं बिछाई जा रही ?राजौरी के किसी क्षेत्र में एक मौलवी कश्मीर फाइल फिल्म की कहानी पर विवादित टिप्पणी देता है और कश्मीर फाइल के डारेक्टर उसकी वीडियो को ट्वीट करते हैं हालांकि यह वीडियो अन्य चैनलों पर बाद में आती है सबसे पहले डारेक्टर साहब के पास पहुंचती है और ट्वीट के माध्यम से जनता देखती है क्या इस मुद्दे को हवा देकर कश्मीर फाइल की कमाई को और बढ़ाया जा रहा है जब जनता यह सवाल पूछती है इस फिल्म की कमाई क्या कश्मीरी पंडितों के परिवारों पर खर्च की जाएगी इस पर फिल्म बनाने वाले कोई उत्तर नहीं देते। केजरीवाल इस फिल्म को टैक्स फ्री ना करके अपितु इस फिल्म को यूट्यूब में डालने का सुझाव देते हैं ताकि जनता देख पाए एक तरफ केजरीवाल इस कहानी पर कटाक्ष करते हैं और दूसरी तरफ इसे यूट्यूब में डालने की वकालत भी करते हैं अर्थात वह चाहते हैं कि इस फिल्म पर कमाई ना आए वह ऐसा कह कर अपने किन वोटरों को खुश करना चाहते हैं क्या केजरीवाल समाजसेवी हो गए हैं वह अपने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए इस कश्मीर फाइल विवाद में क्यों उलझे हुए हैं क्या यह किसी रणनीति का हिस्सा है क्या जम्मू कश्मीर में होने वाले आगामी चुनाव पर भी केजरीवाल की नजर है?
ऐसे हजारों सवाल हैं जिनका जवाब मिलना असंभव है पर इतना तय है कि यह सब एक रणनीति के तहत हो रहा है। कश्मीरी पंडितों के दर्द को करौदा भी जा रहा है उनकी वरवादी का हल भी कोई नही बता रहा उस समय के दोषियों पर कब कारवाही होगी इस का उत्तर किसी के पास नही। क्या सरकार उनपर कारवाही कर के जो माहौल बनेगा उस को वोट बैंक में बदलने की विसात केजरीवाल बिछा रहे हैं।
देश में जब भी किसी राज्य में चुनाव आते हैं तो उस समय इस तरह के मुद्दे उठाए जाते हैं हिंदू मुस्लिम विवाद पिछले एक दशक से चुनावों के समय तेजी से बढ़ जाता है इसके लिए विपक्ष भाजपा को जिम्मेदार मानता है जिस का लाभ विपक्ष भी ले लेता है परंतु दा कश्मीर फाइल फिल्म की रिलीज के बाद यह विवाद पुनः सामने आना शुरू हो गया है जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में चुनाव हैं उसके बाद 2024 का चुनाव भी आ जाएगा तो क्या घाटी में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के वोट बैंक को तोड़ने के लिए केजरीवाल इस तरह के बयान दे रहे हैं यदि जम्मू कश्मीर चुनावों में केजरीवाल घाटी की पार्टियों के वोट को तोड़ देते हैं तो घाटी में लाभ किस पार्टी को होगा ? यदि वही पार्टी जम्मू में भी अपने जनाधार को बचाए रखती है तो जम्मू कश्मीर में सरकार किसकी होगी? इससे पहले पंजाब में जो हुआ वह सबके सामने था पंजाब में भाजपा ने खानापूर्ति के लिए ही प्रचार किया और हमले कांग्रेस पर किए दूसरी तरफ केजरीवाल ने भी हमले कांग्रेस पर ही किए। भाजपा और आप पार्टी की टक्कर पंजाब में कहीं भी नहीं देखी गई जिसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस पंजाब में धराशाई हुई और आप पार्टी बड़े जनाधार के साथ जीत गई तो क्या यह माना जा सकता है की जिस राज्य में भाजपा के जीतने की संभावनाएं कम होती हैं और कांग्रेस जीत सकती है क्या भाजपा वहां आप पार्टी को मौका देकर “कांग्रेस मुक्त भारत” बनाने के अपने प्रयास को सफल बनाना चाहती है क्या भाजपा घाटी में आप पार्टी को अपने पैर पसारने में सहयोग कर रही है सोशल मीडिया में केजरीवाल के बयान को इस तरह से पेश करना क्या यह किसी रणनीति का हिस्सा है इन सारे विवादों पर अभी तो कुछ कहना असंभव है परंतु केजरीवाल का वयां फिर प्रेस कांफ्रेंस में पुनः वयां को दोहराना, यह संकेत तो यही कहते हैं यह सब खेल एक रणनीति के तहत किए जा रहा है जिनका संबंध जम्मू कश्मीर के चुनावों और 2024 के चुनावों के साथ जुड़ा हुआ है।