सूरत, विश्व हॉकी इतिहास के सबसे बड़े खिलाड़ी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद उर्फ ध्यान सिंह बैस की जन्म जयंती श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के दक्षिण गुजरात सूरत कार्यालय पर प्रताप सिंह दहिया की अध्यक्षता में मनाई गई।
राष्ट्रीय प्रवक्ता पिन्टू बन्ना ताल ने बताया कि मेजर साहब अकेले भारतीय थे जिन्होंने आजादी से पहले भारत में ही नहीं जर्मनी में भी भारतीय झंडे को फहराया उस समय हम अंग्रेजो के गुलाम हुआ करते थे भारतीय ध्वज पर प्रतिबंध था। इसलिए उन्होंने ध्वज को अपनी नाईट ड्रेस में छुपाया और उसे जर्मनी ले गए। इस पर अंग्रेजी शासन के अनुसार उन्हें कारावास हो सकती थी लेकिन हिटलर ने ऐसा नहीं किया।
जीवन के अंतिम समय में उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे। इसी दौरान जर्मनी और अमेरिका ने उन्हें कोच का पद ऑफर किया लेकिन उन्होंने यह कहकर नकार दिया की “अगर में उन्हें हॉकी खेलना सिखाता हूँ तो भारत और अधिक समय तक विश्व चैंपियन नहीं रहेगा.” लेकिन भारत की सरकार ने उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं की तदुपरांत भारतीय आर्मी ने उनकी मदद की एक बार ध्यानचंद अहमदाबाद में एक हॉकी मैचदेखने गए। लेकिन उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दिया गया स्टेडियम संचालको ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। इसी मैच में जवाहरलाल नेहरु ने भी भाग लिया था।
ध्यानचंद जी की प्रशंसको की लिस्ट में हिटलर का नाम सबसे उपर आता है। हिटलर ने ध्यानचंद जी को जर्मनी की नागरिकता लेने के लिए प्रार्थना की,साथ ही जर्मनी की ओर से खेलने के लिए आमंत्रितकिया उसके बदले उन्हें सेना का अध्यक्ष और बहुत सारा पैसा देने की बात कही लेकिन जवाब में ध्यानचंद ने उन्हें कहा की मैं पैसो के लिए नहीं देश के लिए खेलता हूँ। क्रिकेट के आदर्श सर डॉन ब्रेड मैन ने कहा “में ध्यानचंद का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ मेरे रन बनाने से भी आसानी से वे गोल करते है। लगभग 50 से भी अधिक देशो द्वारा उन्हें 400 से अधिक अवार्ड प्राप्त हुए।