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सियावा के गणगौर मेले में आदिवासियों ने उत्साह के साथ लियाभाग

आबूरोड शहर के पास सियावा गांव में शुक्रवार को आदिवासियों का गंणगौर मेला धूमधाम से भरा। मेले में आदिवासियों ने अपनी परंपराएं निभाई। समाज के सियावा मेले में शुक्रवार को दिनभर इस मेले का आयोजन हुआ, जिसमें कई गांवों से आए युवक युवतियों समेत समाज के अन्य लोगों ने भाग लिया। मेले में दिनभर आदिवासी अंचल के लोकनृत्य व लोक गीत गूंजते रहे।

पारंपरिक परिधानों में सजे धजे युवक युवतियां मेले की सांस्कृतिक पहचान बने हुए थे। गुजरात के अंबाजी, दांता, अमीरगढ़, इकबालगढ़ समेत आबूरोड, सरूपगंज, पिंडवाड़ा, पंचदेवल, कोटड़ा के आसपास के आदिवासियों ने मेले में उत्साह के साथ भाग लिया। मेले के अंतिम दिन जलोइयाफली स्थित शिव-पार्वती मंदिर से शिव-पार्वती की सवारी निकाली गई। आगे दोनों देवी-देवता की मूर्ति सिर पर महिलाएं रख कर मेले में पहुंचकर नृत्य किया।

ढोल नगाड़ों के परंपरागत नृत्य किया। इसके बाद शाम ढलने से पूर्व पास स्थित नदी में मूर्तियों का श्रद्धा के साथ विसर्जन किया और इसी के साथ मेले का विसर्जन हो गया।

युवक, युवतियों व बच्चों ने हाथ पर गुदवाए नाम : मेला स्थल पर मनोरंजन व स्वादिष्ट व्यंजनों के व्यवस्था की गई। शाम को शिव-पार्वती की मूर्ति का पास स्थित नदी में विसर्जन किया गया। मेला स्थल पर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए थे।

खिलौनों की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ रही। युवक, युवतियों व बच्चों ने हाथ पर नाम गुदवाए। परंपरागत वेशभूषा में सजकर समूह में गुजरते युवक, युवतियों व बच्चे उत्साह से मेले में घूमते रहे। मेले में भाखर, मेवाड़ उदयपुर, गुजरात समेत अन्य वनवासी बहुल क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया। मेला कमेटी के पदाधिकारी, समाज के वरिष्ठ नागरिकों ने आयोजन में सहयोग किया। रिको थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह, सरपंच प्रधान समेत समाज के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

मेले में गूंजे आदिवासी लोकगीत, हाट बाजार में की खरीदारी
आबूरोड. सियावा मेले पारंपरिक नृत्य करती आदिवासी महिलाएं।

आबूरोड. सियावा मेले में उमड़े आदिवासी समाज के लोग।

सिसोदिया वंश ने शुरू किया था मेला
यह मेला समाज के लोगों के बसने के समय से सिसोदिया वंश ने शुरू किया था। इस मौके मिट्टी से बनी शिव-पार्वती की सवारी निकाली जाती है। फिर पास की नदी में विसर्जित किया जाता है। –
मेले में शराब पर था प्रतिबंध मेले में शराब की दुकान पूरी तरह बंद रही। वहीं गरासिया समाज ने अपने पहले के निर्णय के अनुसार मेले में शराब पर पूरा प्रतिबंध रखा। इसके पालन के मेला कमेटी व गरासिया समाज के लोगों ने पूरी चौकसी बरती।

रिपोर्टर प्रहलाद पुजारी अम्बाजी

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