रिपोर्टिंग आनंद गुरव सूरत
देहाती भाषा में संकर ८ बार और अलग-अलग तरह से संकरु मिलाकर इतना लिखा है।। कोई कांड बाकी नहीं जहां शंकर का स्मरण ना हो।। मोरारी बापू ने बताया कि सिक्किम में अभी शहीद हुए हमारे १६ जवानों के लिए यह मानस शंकर कथा की और हनुमंत प्रसाद के रूप में हर एक परिवार को Rs. २५००० की राशि प्रसाद के रूप में प्रदान की जाएगी।। बापू ने यह भी बताया कि शिव तो होने ही चाहिए राम और कृष्ण किसे भी मानो लेकिन शिव अवश्य होने चाहिए।
। कथा प्रवाह में शिवचरित्र में सती ने परीक्षा की शिवचरित्र सप्तपदी का पहला पैदान वहम है, सीता का रूप लिया हम रूप बदल सकते लेकिन स्वरूप नहीं बदल सकते और रुप प्रभावक है और स्वरूप स्वभाव में आता है रूप नकली भी हो सकता है स्वरूप असली होता है और रुप बहिर होता है स्वरूप आंतरिक होता है।
ये मानस अद्भूत,अवधूत ग्रंथ है। भजनानंदी साधु के होठों से निकला वचनामृत,कथामृत,नामामृत सुननेवालों का आयुष्य बढा देता है बापु ने कहा कि ये जिम्मेदारी से निवेदन कर रहा हुं।।