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मेरे अच्छे कर्मों का अच्छा फल है ‘अनुपमा’ इसलिए मैं स्टार प्लस और प्रोड्यूसर राजन शाही जी के साथ काम कर रही हूँ – रुपाली गांगुली

सात साल के अंतराल के बाद अभिनेत्री रुपाली गांगुली ने टेलीविजन की दुनिया में वापसी की है। 13 जुलाई से प्रमुख हिंदी जीईसी चैनल स्टार प्लस पर प्रसारित हुए ‘अनुपमा’ शो में उन्होंने एक माँ और हाउसवाइफ की मुख्य भूमिका में दर्शकों को नजर आ रही हैं। इस कहानी के जरिए रुपाली एक माँ और एक पत्नी की कहानी को बयां कर रहीं हैं जो अपने परिवार के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। तीन महीनों के भीतर ‘अनुपमा’ स्टार प्लस चैनल का एक टॉप रेटेड शो बनकर उभरा। दर्शकों द्वारा खूब पसंद की जा रही अनुपमा की कहानी बहुत अद्भुत है। अनुपमा (रुपाली गांगुली द्वारा निभाया गया किरदार) में बहुत धैर्य और आंतरिक शक्ति है जो अपने मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ सभी प्रतिकूल परिस्थितियों को संभालती हैं। वह अपने पति (सुधांशु पांडेय द्वारा अभिनीत किरदार) से बहुत प्यार करती हैं। 25 साल बाद भी वह अपने पति के उपस्थिति में शर्माती हैं। वह एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी, 3 बच्चों की माँ और बहू हैं, एक कुशल कुक और एक डाँसर भी हैं। एक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि के साथ पली बढ़ी अनुपमा की ग्रेजुएशन पूरा होने से पहले ही शादी हो जाती है, ऐसे में उनका परिवार हमेशा उन्हें कमतर आंकता है और सभी उनका अपमान करते हैं। अनुपमा का किरदार पिछले 2 महीनों में दर्शकों में इतना चर्चित हो चुका है कि यह शो अब हमेशा ख़बरों में रहता है। इस शो पर अभिनेत्री रुपाली गांगुली से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

‘अनुपमा’ के किरदार में ऐसी क्या बात थी, जिसके लिए आपने इसे हाँ कहा ?

सात साल अपने बच्चे के साथ समय बिताकर एक कमाल का अनुभव मुझे मिला। मैं ख़ुदको भाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे यह सुविधा मिल पाई कि मैं अपने मातृत्व को एन्जॉय कर सकूँ और अपने बच्चे और परिवार के साथ समय बीता सकूँ। हां ! एक महीने मैंने साराभाई की शूटिंग की थी। इस दौरान मुझे आटे दाल का भाव समझ आ गया कि मुझसे घर से निकलना नहीं हो पाएगा। बच्चे को किसी और पर छोड़ देना चाहे वह कितने भी अच्छे हो मन को भा नहीं रहा था। मजबूरी में एक बार आप कर भी लो, लेकिन शौकिया तौर पर तो बिल्कुल नहीं। अब मेरा बेटा 7 साल का है और जब मुझे अनुपमा का रोल ऑफर किया गया तो मैं खुद को रोक नहीं पाई क्युकि यह किरदार भी उतना ही खूबसूरत है।

वर्तमान परिस्थिति को देखते और एक माँ होने के नाते आप शूटिंग को लेकर कितनी नर्वस थी ?

सच कहूं तो शूटिंग पर जाना है इस बात को लेकर मैं इतनी उत्साहित थी कि रातभर मैं सो नहीं पाई। बिलकुल भी नहीं, लेकिन एक डर भी था। वह था अपने बेटे को घर पर छोड़कर आने का। मैं यह बात पहले से जान गई थी कि अब मैं उसे पहले की तरह दुलार और पुचकार नहीं पाउंगी। जैसे उसके गाल पर किस करना आदि। दुनिया के बाकी काम में आप मास्क या पीपीई किट पहनकर कर सकते हैं, लेकिन एक्टर्स के लिए यह संभव नहीं है। डर तो बना हुआ है और आगे भी रहेगा ही।

आपने बेटे का सोशल डिस्टेंसिंग पर क्या रिएक्शन है ?

इसी वजह से मैं जब घर भी शूटिंग से घर पहुंचती हूँ तो सबसे पहले नहाती हूँ और नहाने के बाद जैसे ही बाहर आती हूँ तो मास्क पहन लेती हूँ जबकि हम घर पर मास्क नहीं पहन पाते। पर यह एक ऐसा समय है जब मेरा बेटा मुझे गले लगा पाता है। अब कई हद तक चीजें उसकी आदत में आ चुकी हैं पर माँ तो माँ ही होती है। मैं उसके साथ पूरे 7 साल लगातार रही हूँ इसलिए जब भी मैं शूट के लिए घर से बाहर निकलती हूँ तो अपने बेटे के पैरों को चूम कर निकलती हूँ। बच्चे को दूर रखने का कारण उसकी और मेरी सास (पति की माँ) की सेफ्टी भी है क्युकि मेरा बेटा अक्सर उनसे मिलने जाया करता है, उनकी उम्र 88 साल हैटी ज्यादा एहतिआत बरतना जरुरी है । 7 जुलाई शो की शूटिंग शुरू होने से लेकर अबतक मैं अपने बच्चे के साथ सोई नहीं हूँ। मैं अलग कमरे में सोती हूँ और मेरा बेटा और मेरे पति एकसाथ दुसरे कमरे में सोते हैं।

आपने नए शो ‘अनुपमा’ को लेकर आपके बेटे का क्या रिएक्शन है ?

मैंने बहुत कोशिश की पर मेरा बेटा ‘अनुपमा’ शो बिलकुल नहीं देखता क्युकी उसे लगता है मेरी मम्मा की यह दूसरी फैमिली है और एक बार जब पारस (मेरा ऑन स्क्रीन बेटा) ने मुझे विडिओ कॉल किया किया और माँ बुलाया तो उसने कहा ये आपको मम्मा क्यों बुलाते हैं। आप तो मेरी मम्मा हैं।

रुपाली, मोनिशा और अनुपमा के किरदार में कितना अंतर है ?

मोनिशा मुझमें हमेशा से थी क्युकी मैं अपनी रियल लाइफ में बिलकुल मोनिशा जैसी ही हूँ जो सबकुछ बिलकुल विचित्र करती है। सब्ज़ी वाले से बार्गेन करती है। मेरे पति मुझसे हमेशा परेशान हो जाते हैं। अगर बात करें अनुपमा की तो मैं सोचती हूँ वह मेरी माँ का किरदार है बल्कि मैं कहूँगी सभी की माँ का किरदार हैं जो दिन रात सुबह के नाश्ते से लेकर रात के डिनर तक अपने बच्चों की सेवा में लगी रहती हैं। मैं तो अपनी शादी के पहले तक अपनी माँ पर निर्भर थी। जब मैं कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर चली जाती थी तो मुझे अपनी माँ की कमी बहुत खलती थी और अनुपमा की सहायता से मुझे अपनी माँ की हर बात का पूरा एहसास होता है।

सेट पर अपने को स्टार्स के साथ आपका कैसा रिश्ता है?

सेट पर सुधांशु, अल्पना जी जो मेरी सास बनी है, पारस जो समर बना है और हमारे डायरेक्टर ओमी जी हम सभी का आपस में बॉन्ड इतना ज्यादा अच्छा हो गया कि ऐसा लगता है सेट पर यह मेरा दूसरा परिवार है। हम एक दूसरे से सबकुछ शेयर करते हैं और इतना ही नहीं सेट पालतू प्राणी जैसे कुत्ते और बन्दर हैं। राजन शाही जी बहुत अच्छे इंसान हैं वह सेट पर सभी का पूरा ध्यान रखते हैं और इन जानवरों को हमारा पूरा यूनिट बहुत प्यार करता है। मेरा बेटा रुद्रांश भी एक बार सेट पर आया था। उसे बहुत मज़ा आया। हमारे सेट पर बहुत पॉजिटिव एनर्जी है। मैं आते ही जय माता दी बोलती हूँ और सुधांशु पांडेय जी आते ही जय महाकाल बोलते हैं। हमारे सेट पर सभी शिव जी के भक्त हैं। मैं खुदको यहाँ बहुत पॉज़िटिव और सेफ महसूस करती हूँ ।

आपकी गैरमौजुदगी में आपके पति आपके बच्चे को कैसे हैंडल कर पाते हैं ?

मेरे पति आश्विन हमेशा कहते हैं कि मैं दो बच्चे पाल रहा हूँ। उनमें माँ वाले अधिकतर गुण हैं जबकि अगर बच्चे को गेम खेलना तो वो मेरे पास आएगा। मैं बहुत लकि हूँ कि मैंने उन्हें अपने पति के रूप में पाया। मैं इन सात सालों में थिएटर्स करने तो जाया करती थी और अपनी एक्टिंग स्किल्स को ब्रश कर लेती थी पर यह एक डेली सोप है। पहले हम हर अल्टरनेट मंथ में वैकेशन मोड पर होते थे। तो मैंने सोचा की मैं कैसे कर पाउंगी। जबकि मेरे पति ने मुझे बहुत इंस्पायर किया उन्होंने मुझे यह एहसास कराया कि एक्टिंग एक ऐसी चीज है जो मुझमें बसी है। उन्होंने बताया अपनी एक्टिंग के साथ न्याय करने के लिए तुम इस किरदार को करो और अपने अन्य किरदार के जरिए दर्शकों को एक नई रुपाली देखने का मौका दो।

क्या आप इस पेंडेमिक काल में इस शो के साथ लम्बा चलने के लिए तैयार हैं ?

यह पेंडेमिक जरूर ख़तम हो जाएगा पर मैं अनुपमा को छोड़कर कही नहीं जाउंगी। इस शो के हर एक एपिसोड में कुछ न कुछ नई एक्साइटमेंट होती रहती हैं, जिसने दर्शकों को बांधे रखा है। मेरे अच्छे कर्मों का अच्छा फल है अनुपमा शो। इससे पहले मैंने कई शोज़ किए हैं, लेकिन मुझे अपना रिकग्निशन हमेशा स्टार से मिला है। एक टाइम कहा जाता था स्टार के जिस भी शो में मुझे डाल दो वह शो हिट हो जाता है। ऊपर से जब राजन जी और स्टार प्लस का कॉम्बिनेशन मिल जाए तो मेरे लिए इससे अच्छा क्या हो सकता है। स्टार प्लस हमेशा से मेरा लकीएस्ट चैनल रहा है। मैं चाहती हूँ मैं इस किरदार को लेकर खूब आगे तक जाऊं। राजन जी के सेट पर इतना अच्छा माहौल है। मुझे जानवरों से प्यार और उन्हें भी ऐसे में पूरा दिन उस पॉजिटिव माहौल में रहना अच्छा लगता है।

लॉकडाउन के बाद शूटिंग का अनुभव कैसा रहा ?

शूटिंग पर लौटकर ऐसा लगा मानो किसी ने पॉज बटन दबा दिया था और अब किसीने प्ले बटन दबा दिया हो। तीन महीने में मास्क की आदत हो गयी थी। मैंने जब शूटिंग के दौरान मास्क नहीं पहना तो मुझे एक अलग सी फीलिंग महसूस हुई जैसे आप सलवार सूट में बिना दुप्पटे के बहार निकल आए हों। सोचा नहीं था कि मास्क की इतनी आदत पड़ जाएगी। प्रोड्यूसर जी ने यहां सेट पर मैक्सिमम तैयारियाँ की हैं। थर्मल चेकिंग से लेकर सेनिटाइजेशन तक सारी सुविधाएँ यहाँ मुहैया कराई गई हैं। सेट पर थोड़े-थोड़े समय में हमको काढ़ा भी दिया जाता है। इतना ही नहीं सभी के लिए गरम पानी का काउंटर भी बना है। सेट पर सबकी अपनी पर्सनल चेयर है। सरकारी गाइडलाइन्स का पूरा पालन किया जा रहा है।

सात साल के अंतराल के बाद शूटिंग में और और सेट्स पर आप कितना बदलाव पाती हैं ?

मैं अपने आपको यहां एक न्यू कमर की तरह देख रही हूं। शायद एक नया तरीका है एक्टिंग का, मेकअप करने का और अगर मेकअप की बात करूँ तो वह अब बहुत ही चकाचक वाला हो गया है। सबका अपना पर्सनल रूम है। कैमरा और लाइट की टेक्नोलॉजी भी काफी विकसित हुई है । मैंने जब ‘कहानी घर घर की’ शो किया था उस वक्त हम सभी लड़कियाँ एक कमरे में मेकअप करती थी और सारे लड़के एक कमरे में। साराभाई शो में मैं और रत्नाजी एक रूम शेयर करते थे। सुमित और राजेश एक रूम आपस में बाँट लेते थे, लेकिन अब सबका अपना रूम है। हाँ इंसान वही है सारे प्यारे प्यारे। मैं बात करूँ राजन शाही सर की तो मैंने उनके साथ 20 साल पहले अपने टेलीविज़न करियर की शुरुआत की थी, लेकिन वो उनकी थॉट प्रोसेस, उनका इमोशनल लेवल सबकुछ आज भी बिलकुल वैसा ही है।

आप भी एक महिला और माँ हैं ऐसे में आप ‘अनुपमा’ की कहानी को अपने निजी जीवन से कितना जोड़कर देख पाती हैं ?

हां, हम सभी अपनी माँ को टेकन फॉर ग्रांटेड लेते हैं। हम सभी की ज़िंदगी हमारे मां के इर्द गिर्द ही घूमती है। कितने भी बड़े हो जाए चोट लगती है तो मुँह से सबसे पहले माँ ही निकलता है। हम सभी अपनी माँ से बहुत प्यार करते हैं, लेकिन कई बार ज़िंदगी की इस भागदौड़ में हम उन्हें भूल भी जाते हैं। कई बार काम की व्यस्तता के कारण हम अपनों का फोन तक नहीं उठा पाते हैं और हम उन्हें कॉलबैक करना भूल जाते है। ऐसा नहीं है कि हम उनसे प्यार नहीं करते पर किसी कारण हम उन्हें जता नहीं पाते हैं जो हमें करना चाहिए।

‘अनुपमा’ की कहानी को देखकर आपका आपकी माँ से कितना प्यार बढ़ा है ?

वैसे तो मैं अपनी माँ से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन प्रोमो शूट करते वक्त मैं शुरुआत में बहुत रोयी थी। प्रोमो में जब बेटा कहता है कि आप खुद पढ़ी नहीं हो मेरी पढ़ाई को क्या समझोगी। यह देखकर मुझे बहुत दुःख हुआ। कई बार हमने भी यही बात अपनी मां को कही है। मेरी चीजों को हाथ मत लगाओ यह भी कहा है। इन दिनों मैं सेट पर स्क्रिप्ट पढ़कर बहुत रोना आया और मुझे कई बातें याद आने लगती थी।

सुना है कि आपने इस शो के लिए तपते फर्श पर डांस प्रैक्टिस भी की है?

जी हां, अपने किरदार के लिए मैंने अहमदाबाद के सूर्य मंदिर में तपती फर्श पर डांस भी किया। यह शायद सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन मुझे नंगे पैर रहना अच्छा लगता है इसलिए मुझे सूर्य मंदिर में नंगे पैर डांस करना भी अच्छा लगा।हालांकि मेरे पैर झुलस भी गए थे, लेकिन मैंने अपने डांस का काफी आनंद लिया, जिससे मुझे दर्द का अहसास नहीं हुआ और मैं लगातार शॉट देती रही। मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को मेरी परफॉर्मेस पसंद आएगी।

आप अभी किन अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं?

अब तक, मेरा ध्यान एकमात्र मेरे करेंट शो’अनुपमा’पर है। मैं इस शो के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूँ फिलहाल भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं है।

आपको इस शो के लिए कितना भुगतान किया जा रहा है ?

मेरे लिए केवल यही मायने रखता है कि मुझे दर्शकों के साथ जुड़े रहने का यह सुनहरा अवसर मिला है।

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