रिपोर्टिंग आनंद गुरव सूरत
वाराणसी। संग्रहालय सांस्कृतिक आदान-प्रदान, उनके विकास और संरक्षण के महत्वपूर्ण साधन हैं। जो किसी देश, समाज, सभ्यता की कला, संस्कृति एवं विचार को संजोने एवं प्रसारित करने का सुगम, सफल साधन है। वही गौरैया विश्व के लगभग सभी देशों में पाई जाने वाली पक्षियों की सबसे पुरानी प्रजाति है।
जो आज विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। जिसके संरक्षण की जरूरत है, जैसे कि हम अपने कला, संस्कृति, संस्कार व परम्परा को संजोने के लिए प्रयत्नशील है।
उक्त बातें रजत सिनर्जी फाउंडेशन की डायरेक्टर प्रगति पाठक ने अन्तराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (18 मई 2023) के अवसर पर गुरूवार को सामनेघाट स्थित राम छटपार शिल्प न्यास (कला संग्रहालय) को 30 बर्ड हाउस प्रदान करने के दौरान कही।
उन्होने कहा कि एक वक्त था जब हमारी नींद गौरैयाओं के कोलाहल से खुलती थी। एक ऐसा पक्षी जों मनुष्य के आसपास रहना पसंद करती है, जो आज अपने स्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, जिस मानव समुदाय पर इस नन्ही चिड़िया ने भरोसा किया, उस मानव समुदाय ने अपने भौतिक सुख के लिए विलुप्त होने की राह पर ढकेल दिया है। अगर हम अब भी नही चेते तो वह दिन दूर नही जब मानव जीवन का सबसे पुराना साथी और सहयोगी सिर्फ किताब के पन्नों ,किस्से कहानी और तस्वीरों में ही नजर आएगा।
इस मौके पर 30 बर्ड हाउस प्राप्त करते हुए राम छटपार शिल्प न्यास (कला संग्रहालय) के संस्थापक मदन लाल गुप्ता ने बताया कि मां गंगा के किनारे स्थित इस कला संग्रहालय में गौरैया के लिए भी एक कलात्मक संग्रहाल प्राकृतिक परिवेश में बनाया जाएगा। जिसे फ्रेंच कलाकार जोसेफ बर्नहार्ट द्वारा मूर्त रूप प्रदान किया जाएगा। जो गौरैयाओं के लिए प्राकृतिक स्वरूप में उनका घोसला होगा।
सूच्य हो कि राम छटपार शिल्प न्यास (कला संग्रहालय) उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा निजी कला संग्रहालय है। जहां कला के बहुआयामी अनुभव प्राप्त कर सकते है। साथ मां गंगा के पावन तट पर स्थित यह संग्रालय मन को शान्ति प्रदान करने के साथ कला की सार्थकता को पूरा करता है।
भवदीय रजत मोहन पाठक
सेक्रेटरीरजत सिनर्जी फाउंडेशन
वाराणसी