रिपोर्टिंग आनंद गुरव सूरत
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिंदू मेनन.आंध्रप्रदेश की डॉ. बिंदू मेनन ने अब तक 200 से अधिक नि:शुल्क शिविर लगा चुकी हैं। इन शिविरों में स्ट्रोक (ब्रेन अटैक), माइग्रेन, तनाव, मिर्गी एवं अन्य दिमागी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाता है। डॉ. बिंदू मेनन फाउंडेशन के इस पहल से अब तक 12,000 से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
नई दिल्ली (भारत), 22 मई: कहते हैं डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं। यह लोगों की पीड़ा को दूर करते हैं। डॉक्टर बनना वर्तमान में चंद सबसे फायदेमंद करियर विकल्पों में से एक माना जाता है, जहाँ एक विशेषज्ञ डॉक्टर की एक बार की कंसल्टेशन फीस कुछ सौ रुपयों से हज़ारो रुपयों तक भी जा सकती है।
किन्तु ,कुछ डॉक्टर ऐसे भी होते हैं जो इलाज करने के लिए नाममात्र की फीस लेते हैं, और कुछ चैरिटी व समाजसेवा के लिए काम करने में अपने प्रोफेशन की महत्ता को समझते हैं। न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ बिंदू मेनन ने चिकित्सा के क्षेत्र में समाजसेवा कर मिसाल कायम की है।
आंध्र प्रदेश के नेल्लूर की रहने वाली देश की एक प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिंदू मेनन ने न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क सम्बंधित) विकारों के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों का मुफ्त उपचार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। समाज सेवा का यह काम डॉ मेनन पिछले 10 सालों से कर रही हैं।
अपनी मेडिकल वैन में गाँव की तंग गलियों में घूमना एवं न्यूरोलॉजिकल बीमारयों से जूझ रहे निचले तबके के मरीजों का इलाज करने को अब डॉ. बिंदू मेनन की मासिक दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी आज भी हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इसके समाधान को अपना लक्ष्य मानकर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों तक पहुंचने के लिए वर्ष 2013 में उन्होंने डॉ. बिंदू मेनन फाउंडेशन की नींव रखी।
‘न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स’ पहल की शुरुआत
2015 में ग्रामीण क्षेत्रों में रोगियों के इलाज के मिशन के साथ डॉ. बिंदू मेनन ने ‘न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स’ नामक पहल की शुरुआत की, जो एक छोटी वैन में चिकित्सा सेवाओं को गाँव के दूर-सुदूर क्षेत्र तक पहुँचाती है, जहाँ न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के बारे मे जागरूकता की कमी और इससे जुड़ी चिकित्सा सेवाओ का आभाव हैं।
अब तक, वे लगभग 44 गांवों को कवर कर चुकी हैं और सैकड़ों रोगियों को मुफ्त इलाज कर चुकी हैं। न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स प्रोजेक्ट का ध्येय वाक्य ‘We reach, we teach, and we treat!’ हैं जिसे उन्होंने पूर्णतः चरितार्थ किया हैं, वो खुद गरीब व जरुरतमन्द मरीजों तक पहुँचती हैं, उनको बीमारी के प्रति जागरूक करते हुए उनका नि:शुल्क उपचार करती हैं। यह देश में पहली बार दूर-दराज के हिस्सों में विशेष न्यूरोलॉजिकल सेवाएं प्रदान करने वाली परियोजना है।
डॉ. बिंदू मेनन ने अब तक 200 से अधिक निशुल्क शिविर लगायें हैं। इन शिविरों में स्ट्रोक (ब्रेन अटैक), माइग्रेन, तनाव, मिर्गी एवं विभिन्न मस्तिष्क संबंधी विकारों से पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाता है। इन शिविरों में 113 फाउंडेशन मासिक कैंप 44 न्यूरोलॉजी ऑन व्हील्स विलेज कैंप, 50 आउटरीच और प्रगति चैरिटी शामिल हैं। डॉ. बिंदू मेनन फाउंडेशन के इस पहल से अब तक 12,000 से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
डॉ मेनन बताती हैं कि “हम गाँव-गाँव जाकर लोगों को समझाते है और फिर मुफ़्त में इलाज करते हैं। हमारी संस्था द्वारा स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक संगठनों मे जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अब तक हम 210 जागरूकता कार्यक्रम पूरे कर चुके हैं, जिसमे 35,000 से अधिक लोगो को शिक्षित किया जा चुका है।”
बता दें कि डॉ मेनन तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वो नेल्लोर आ गई, जहाँ अपोलो स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स में एक प्रोफेसर व न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड के रूप में कार्यरत हैं। डॉ बिंदू मेनन को मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक कार्य योजना पर सहयोग करने के लिए वन न्यूरोलॉजी एंबेसडर के रूप में भी चुना गया है।
मरीजों की मदद के लिया लॉन्च किया मोबाईल ऐप
डॉ बिंदू न केवल एक कुशल डॉक्टर हैं बल्कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी के बारे में भी उनकी जानकारी काफी अच्छी है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने ‘स्ट्रोक हेल्प’ एवं ‘एपिलेप्सी हेल्प’ नामक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया हैं, जो मरीजों के लिए काफी मददगार साबित हो रही हैं। हजारों की संख्या मे लोग इसे डाउनलोड कर स्ट्रोक और मिर्गी से बचने के उपायों एवं इलाज का लाभ ले रहें है। यह ऐप अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगू भाषा में उपलब्ध हैं।
डॉ. मेनन ने न्यूरोलॉजिकल विकारों प्रति जागरूक करने और इसके रोकथाम के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए एक टोल-फ्री नंबर, 18008916977 जारी किया हैं, जिसके द्वारा लोग महज एक कॉल पर इन बीमारियों के बारे मे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा डॉ बिंदू मेनन के आधिकारिक वेबसाईट www.drbindumenon.com पर भी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जुड़ी तमाम जानकारियाँ उपलब्ध हैं।
कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी है डॉ. बिंदू मेनन
डॉ. बिंदू मेनन को न्यूरोलॉजी, शिक्षा, शोध व समाजहित मे किए गए कार्यों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका हैं। साल 2022 में उन्हें अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ न्यूरोलॉजी की फ़ेलोशिप (FAAN) और अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ न्यूरोलॉजी और अमेरिकन ब्रेन फ़ाउंडेशन की ओर से मृधा स्पिरिट ऑफ़ न्यूरोलॉजी ह्यूमैनिटेरियन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को 2021 में भी पहचाना गया, जब उन्हें अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की ओर से प्रतिष्ठित ए.बी. बेकर टीचर रिकॉग्निशन अवार्ड प्रदान किया गया। स्ट्रोक पर रिसर्च और रोकथाम में डॉ. मेनन के योगदान को विश्व स्ट्रोक संगठन (WSO) ने सराहा और उन्हें 2021 में वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाईजेशन की फैलोशिप प्रदान की गई।
इसके अलावा, उन्हें 2019 में जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया से जे. जे. राव ओरेशन अवॉर्ड और इसी वर्ष स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए तेलंगाना के राज्यपाल महामहिम ईएसएल नरसिम्हन के हाथों साक्षी एक्सीलेंस अवार्ड फॉर हेल्थकेर से सम्मानित किया गया।
डॉ. मेनन को 2017 में इंटरनेशनल लीग एपिलेप्सी (ILAE) लीडरशिप अवार्ड और 2016 में न्यूरोलॉजी क्षेत्र में उनके कार्य के लिए इंडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन और इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी द्वारा एच. सी. बाजोरिया ओरेशन अवार्ड से नवाजा गया।
2020 से विश्व स्ट्रोक संगठन की शोध समिति के सदस्य के रूप में, डॉ मेनन ने न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दें रही है। न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में डॉ. बिंदू मेनन का कार्य बस यही तक नहीं सीमित हैं। वह इंडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन और इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी के सहयोग से प्रकाशित एक मैगजीन ‘एपिलेप्सी इंडिया न्यूज़लैटर’ के मुख्य संपादक के रूप में भी कार्यरत हैं।
डॉक्टर के रूप में एक सफल करियर का प्रबंधन करते हुए, मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर होने के साथ ही एक सामाजिक संस्था चलाना कोई छोटी बात नहीं है, लेकिन डॉ. मेनन इन सब को बहुत उत्साह और समर्पण के साथ करती हैं। डॉ मेनन जैसे डॉक्टर समाज के लिए प्रेरणा श्रोत हैं, जो बतौर डॉक्टर अपने प्रोफेसनल करिअर मे रहते हुए सामाजिक परोपकार के काम से जुड़ कर हजारों मरीजों को लाभ पहुंचा रहीं है।