अहमदाबाद, २१ फरवरी २०२२।
कॉस्मो रीसर्च फाउन्डैश के मैनेजिंग ट्रस्टी मौलिक भट्ट की पुस्तक ‘श्री राम – कॉस्मॉलॉजिकल टाइमलाइन’ का विमोचन आज गुजरात युनिवर्सिटी के मनोविज्ञान भवन में अनेक महानुभावो की प्रेरक उपस्थिति में हुआ।
इस पुस्तक लिखने के पीछे कठिन मेहनत की बात करते हुए, मौलिक भट्टने कहा, “रामायण में श्री राम को १४ वर्ष का वनवास हुआ था। मेरे लिए, इस पुस्तक के पीछे शोध के लिए मुझे १३ वर्ष लगें। आज मुझे लगता है कि जैसे मेरा वनवास समाप्त हुआ।“
इलेक्ट्रॉनिक ऍन्जिनियर मौलिक भट्टने कहा, “मैं मूलत: गणित का व्यक्ति हूं। मुझे संस्कृत में समज नहीं पडती। मुझे महर्षि पाणिनी संस्कृत संवर्धन केन्द्र, गुजरात युनिवर्सिटी के निर्देशिका प्रा. डॉ. मयूरीबहेन भाटिया और भाषा साहित्य भवन के निर्देशक प्रा. डॉ. कमलेश चोकसी का बहोत ही सहयोग प्राप्त हुआ। मैं उनसे देर रात २-३ बजे भी मार्गदर्शन प्राप्त करता था।“
इस पुस्तक में, रामायण के समय में हुई खगोलीय घटनाओ को मूल वाल्मीकि रामायण के आधार पर सूर्य सिद्धांत की मदद से उकेला गया है। इस में आठ कांड है। नासा सॉफ्टवेर की मदद ली गई किन्तु उस में काफी त्रूटियां है ऐसा पाया गया। अपना गणितीय और खगोलीय अनुमान ही नहीं देते हुए, मौलिक भटट्ने ‘विवरण कांड’ में संपूर्ण स्पष्टीकरण दीया है। भगवान राम की तस्वीर नक्षत्र को जोडकर बनाई गई है जो कि पुस्तक के मुखपृष्ठ पर सुंदर रूप से अंकित हुई है।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। मंचस्थ महानुभावो का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। श्रोतागण में उपस्थित कुछ विशेष अतिथियों, जैसे कि डॉक्टर, ब्रह्म समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष, मौलिक भट्ट के परिवारजनों का भी स्वागत हुआ। लोगों ने पुस्तक विमोचन का स्वागत ‘जय श्री राम’ के जयघोष से किया।
उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए डॉ. मयूरी भाटिया ने कहा, “मौलिक भट्ट मेरे पास हंमेशां शिष्य भाव से ही आए। विश्व विद्यालय वह स्थान है जहां विश्व भर के ज्ञान को पाने के सभी रास्ते मिलते है। इस प्रकार, विश्व विद्यालय की परिकल्पना यहां साकार हुई है। उप कुलपति श्री हिमांशु पंड्या ने सभी प्रकार की स्वतंत्रता और सहयोग दिया। हमने जब भी चर्चा की, मैंने मौलिक भट्ट से श्री चोकसी सर का मार्गदर्शन लेने को कहा। मौलिक भट्ट का जातक चंद्रिका और वराहमिहिर के सिद्धांतो का गहरा अध्ययन है। हमने बहोत चर्चा की। हमने सूर्य सिद्धांत की चर्चा की। हमने सोचा कि हमें यह लोगों के पास ले जाना चाहिए। सूर्य सिद्धांत से खगोलीय घटनाओं को आज के केलेन्डर के अनुसार बताया जा सकता है। इस प्रकार प्रभु श्री राम की जन्मतारीख क्या होगी? यह हमें देनी चाहिए।
उत्तरायण गति दर्शाती है, रामायण भी जीवन जीने की, श्री राम की अयोध्या से लंका की और लंका से अयोध्या की गति दर्शाती है। मौलिक भट्टने युद्ध कब हुआ, रावण की मृत्यु कब हुइ इस को ध्यान में रखते हुए खगोलीय सिद्धांत और सूर्य सिद्धांत के आधार पर श्री राम के जीवन की तारीख निरश्चित की है।
पूज्य शास्त्री नारायण चिंतन स्वामीने मौलिक भट्ट का परिचय देते हुए कहा, “आज गुजराती भाषा का दिन है। 2.5 अथवा तीन वर्ष पहले मैं गुजरात युनिवर्सिटी में ज्योतिष और वास्तु शिखने के लिए आया था। मैं अब प्राचीन विज्ञान पर पीएच. डी. कर रहा हूं। यदि कोई ज्योतिष का व्यवसाय करता है तो लोग कहते है कि उस का कोई ओर धंधा नहीं चल रहा होगा। यह ठीक नहीं है।
मौलिक भट्ट के नानाजी का आश्रम नर्मदा नदी के किनारे है। वहां पर ही उन्हें संस्कार प्राप्त हुए। उन्हों ने २,००० से भी ज्यादा टीवी शॉ किए है। वे शॅयर बाजार, फुटबॉल मेच का भविष्य बतातें है। बाद में वे अध्यापन में आए। ऑरिएन्टल इन्स्टिट्यूट के पास रामायण की २,४०० से ज्यादा हस्तलिपि है। मौलिक भट्टने इन्ही हस्तलिपि के आधार पर यह पुस्तक लिखिं है।
इस अवसर पर, डॉ. कमलेश चौकसीने भारतीय परंपरा और विरासत का महत्त्व समजाते हुए कहा कि यदि आप को आज का वार जानना है तो आप को कल का वार पता होना चाहिए। अन्यथा, सब लुप्त हो जाएगा। जब हम धर्म कार्य करते है तो हम संकल्प पाठ करते है। वह क्या है? वह आप को कल की याद दिलाता है। कितने वर्ष हुए? कौन सा महीना चल रहा है। मौलिकभाई अक्सर कहते है, यहां नीचे सब बदलता रहता है, किन्तु उपर कुछ नहीं बदलता।
आचार्य भर्तुहरि ने वाक्यपदीय ग्रंथ दीया है। हम को कालखंड के उपरांत स्थान खंड की जानकारी होना भी आवश्यक है। ज्योतिष में काल और स्थान दोनों का महत्त्व है। पुस्तक में रामायण की ही भांति आठ कांड है। पहला कांड स्रोत कांड है। स्रोत ढूंढने का प्रयास किया गया है। फिर निर्णय कांड है। केवल जन्मतिथि ही नहीं, किन्तु प्रभु श्री राम ने कब यज्ञोपवित धारण किया होगा, कब उनका विवाह हुआ होगा वह तारीख भी आज के केलेन्डर के अनुसार निश्चित की गई है। तीसरा कांड प्रणालि कांड है। निर्णय पर आने के लिए हमारे पास प्रणालि होना आवश्यक है। फिर साधन कांड है। सूचना को प्रमाणित भी करना चाहिए। फिर सावधिक कांड है। अंतिम कांड है त्रूटि कांड। श्री राम की जन्मतारीख जानने के लिए कितने प्रयास हुए और उसमें क्या त्रूटि रह गई?
उन्हों ने कहा, “कहने को तो मैं ६१ वर्ष का हूं, किन्तु वास्तव में मैं अरबों वर्ष का हूं। संकल्प पाठ में, हम कहतें हैं कि हम सप्त मन्वंतर में है। यद्यपि, आज प्रमाण मांगनेवाले लोग बहुमत में है। हमने श्री राम की जन्मतारीख तो निश्चित कर ली है और हमें आगे योगीराज श्री कृष्ण और पूज्य शंकराचार्य और अन्य कई एसे महापुरुषों की जन्मतारीख निश्चित करनी है।“