IndiaLatest

मौसम बदलते ही ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा , सतर्क रहे दिमाग से संबंधित मरीज

दिमाग से जुड़े किसी भी लक्ष्ण को न करें नजरअंदाज: डा. विवेक अग्रवाल

ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त 82 वर्षीय महिला का फोर्टिस मोहाली में मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी के माध्यम से सफल इलाज

यमुनानगर, 27 मई ( ): मौसम बदलते ही मस्तिष्क रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि इस दौरान गर्मी अपने पूरे यौवन पर रहती है, गर्म शरीर होने से पीडि़त मरीज की रक्त की आपूर्ति कम या बाधित होने के कारण दिमाग के सेल्स मरने लगते हैं, जो कि ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) पडऩे का अधिक खतरा रहता है।

आज ब्रेन स्ट्रोक/अधरंग जैसे रोग संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए जाने माने इंटरवेंशनल न्यूरोरेडयोलॉजिस्ट डा. विवेक अग्रवाल यमुनानगर पहुंचेे। उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) पडऩे पर यदि मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जन हों तो मरीज जल्द स्वस्थ व अधरंग के असर को कम या खत्म किया जा सकता है।

फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो-इंटरवेंशन एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के कंस्लटेंट डा. विवेक अग्रवाल ने कहा कि यदि समय पर जांच करवा ली जाए तो एक लक्ष्ण से बीमारी की असली स्थिति का पता लग जाता है।

ऐसे में उक्त लक्ष्ण दिमाग से जुड़ा हुआ हो तो थोड़ी से बरती लापरवाही से व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग का दौरा) पडऩे के कारण एक जटिल दिमागी बीमारी की चपेट में आ सकता है। उन्होंने कहा कि न्यूरो से संबंधित बीमारियों के लक्ष्ण दिमागी हालत से जुड़े होते हैं, जिनमें भूल जाना, चेतना की कमी, एक दम व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना, क्रोधित होना व तनावग्रस्त आदि लक्ष्ण शामिल हैं।उन्होंने कहा कि यदि न्यूरोलॉजी से संबंधित मरीज का इलाज नहीं करवाया जाता तो इसके गंभीर परिणाम निकल सकते हैं।

डा. विवेक अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के बाद चार घंटे बाद बेहोशी की हालत में 82 वर्षीय बुजुर्ग मरीज उनके पास पहुंची। उनके शरीर के बाएं हिस्से को लकवा हो गया था। चिकित्सा उपचार में यदि थोड़ी देर हो जाती तो वह महिला मरीज को घातक स्थिति में पहुंचा सकती थी। मरीज के दिमाग के दाहिनी ओर अवरूद्ध हुई रक्त आपूर्ति को मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की मदद से आर्टरी से क्लाट को हटा दिया गया।

उन्होंने कहा कि मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी को ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों के लिए गोल्ड स्टेंडर्ड माना जाता है, वहीं मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा या लकवा मारने पर बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आने से गंभीर से गंभीर मरीज स्वस्थ हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दिमागी दौरे (ब्रेन स्ट्रोक) पडऩे पर मरीज को पूरी तरह से बचाया जा सकता है, बशर्ते उसे ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां एडवांस स्ट्रोक देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध हों, क्योंकि दिमागी दौरे के दौरान मरीज के लिए हर सैकेंड मायने रखता है। उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल व्यापक स्ट्रोक सुविधाओं से लैस नहीं है, तो मरीज को ऐसे अस्पताल में पहुंचाना व्यर्थ या समय बर्बाद है। मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण औसतन स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खो देता है, जो हमेशा अधरंग या मौत का कारण बनता है।

रिपोर्ट सत्यम नागपाल हरियाणा

GExpressNews | The latest news from India and around the world. Latest India news on Bollywood, Politics, Business, Cricket, Technology and Travel.

Related Posts

1 of 552

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *